मासूमियत से भरे बच्चों की
मासूमियत का जवाब नहीं
क्या कहूँ उनके बारे में
मेरे पास शब्द नहीं
पल में रोते पल में हँसते
उनको ये तक ज्ञात नहीं
क्या अच्छा है और क्या बुरा है
मेरे पास शब्द नहीं
बचपन होता कितना प्यारा
जिसमें कोई भेद-भाव नहीं
क्यों पल में खेलें और झगड़ें
मेरे पास शब्द नहीं
तोतली बोली और किलकारी उनकी
उनके समान कोई मासूम नहीं
क्या कहूँ मैं प्रभु की लीला है
मेरे पास शब्द नहीं
मासूमियत से भरे बच्चों की
मासूमियत का जवाब नहीं
क्या कहूँ उनके बारे में
मेरे पास शब्द नहीं।
mere pass sabd nhi hindi poem