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apna drd hindi poem

apna drd hindi poem

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अपने दर्द से सदा के लिए कहां जुदा हो पाते है हम,
एक दर्द छोड़कर बस दूसरा दर्द अपनाते है हम..

रिश्ते निभाने का हुनर कहां सीख पाते हैं हम,
एक रिश्ता तोड़कर बस दूसरे रिश्ते में ढल जाते हैं हम…

मंज़िलें जीवन की कब हासिल कर पाते है हम,
मजबूरियों के नाम पर बस मंजिले बदलते जाते है हम..

अपनों के हिस्से का सच कब जीते हैं हम,
अपने अधूरे सच को बस जीते जाते है हम..

किसी का साथ निभाना तो मानो भूल गए है हम,
उसकी कुछ गलतियों को बस हर पल गिनवाते है हम..

apna drd hindi poem
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mera khyal hindi poem

mera khyal hindi poem

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कभी जो बैठोगे तुम सोचने तो 
आयेगा मेरा ख्याल भी
मिलने की थी ख़ुशी बहुत, 
अब बिछड़ने का होगा मलाल भी

क्यों छोड़ा तुमने साथ मेरा, 
क्यूं बदलीं तुमने मंज़िलें
ढूँढोगे तुम जवाब खुद, 
तुम करोगे खुद ही सवाल भी

भुला न सकोगे तुम हमें, 
याद आयेंगे तुम को उम्र भर
कभी याद दिलाएगी बहार भी, 
कभी शब-ए-ग़म का हिलाल भी

कभी रहोगे तुम उदास बोहत, 
बेसकूंन भी, बेचैन भी
याद करोगे मुस्कराके हमें, 
कभी दोगे जेहन से निकाल भी

कभी देखोगे हसीन पल में, 
कभी देखोगे मुझे ख्वाब में
कभी डगमगाएगी कश्ती-ए-दिल, 
कभी लोगे सम्भाल भी

दिल को रहे ‘नाज’ शिकायतें, 
अधूरी अनकही हिकायतें
मिलके क्या था उनसे हादसा, 
अब बिछड़ के क्या है कमाल भी।।

mera khyal hindi poem
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