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mera dost hindi poem

mera dost hindi poem

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मेरा दोस्त
मेरे घर आया।
मैंने उसे
अपना नया कुत्ता दिखाया।
दोनों का आपस में
परिचय करवाया।
कुत्ते ने भी
स्वागत में दुम हिलाया।
मैंने फ़रमाया
और अपने दोस्त को बताया-
“ये कुत्ता नहीं है
मेरा भाई है, मेरा हमसाया है।”
दोस्त ने कहा-
“तुमने क्या भाग्य पाया है!
बिल्कुल इंसानों-सा कुत्ता पाया है।”
कुत्ता झल्लाया
और भौंककर चिल्लाया
“मुझे कुत्ता ही रहने दो
इंसान कहकर मुझे गाली मत दो,
कुत्ता मालिक का गुलाम होता है
जिसका खाता है
उसका गुण गाता है
जिसका एक रोटी खाता है
उसके आगे
ज़िंदगी भर दुम हिलाता है
तुम्हारी तरह
दूध पिलाने वाली माँ को
वृद्धाश्रम नहीं छोड़कर आता है।
कुत्ता कभी मतलबी
या नमकहराम नहीं हो सकता
इसलिए कुत्ता
कभी इंसान नहीं हो सकता।”

mera dost hindi poem
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