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main fir se bachpan jina chahta hu hindi poem

main fir se bachpan jina chahta hu hindi poem

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मिटटी में करू अठखेलिया
तुतलाकर माँ संग मै बोलू

क्रीड़ा करू नाना प्रकार की
फिर अंगूठा पीना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!


जीऊ होकर मस्त कलन्दर

मिल जाए आनंद के वो पल
वारी जाए दूध की नदिया

उसके लिए रूठना चाहता
मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

 

सुबक सुबक रोउ बिन बात मैं
नयनों से बहती रहे अश्रुधारा

मेरी दशा पे माँ का विचलाना
वो निश्छल प्यार पाना चाहता हु

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

उठ उठ जाऊं, कभी गिर गिर जाऊं
देख खिलोने, घुटने बल चल जाऊं

मिल जाए तो तोड़ दू क्षणभर मैं
फिर पाने को ऊधम मचाना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

मम्मी बोले देखो पापा आये
ड्योढ़ी को सरपट दौड़ लगाऊँ

पापा ले गोद मुझे और मैं हरषाऊँ
वो ऊँगली पकड़ चलना चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

मम्मी पूछे क्या पहनोगे
मुख सिकोड़ नखरे दिखलाऊ

नए नए वस्त्रो पर नजर टिकाऊ
राधा-कृष्णा सा रूप धारणा चाहता हूँ

मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

 

मालुम मुझे बीते पल अब न लोट सके
फिर भी नए-2 सपने सजाना चाहता हु

मैं हुआ उम्रदराज तो कोई बात नहीं
अब बच्चो में वो जीवन जीना चाहता हुँ

हाँ, मैं फिर से बचपन जीना चाहता हूँ !!

main fir se bachpan jina chahta hu hindi poem
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