मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता तो बस्ती-बस्ती में फिरता रहता सुन्दर नग-नद-नालों का यार होता मस्ती में अपनी झूमता रहता । मैं भी अगर … आदमी का गुण मुझ में न होता ईर्ष्या की आग में न जलाता होता स्वार्थ के युद्ध में न मरता-मारता बम्ब-मिसाइल की वर्षा न करता । मैं भी अगर… आंखों में दौलत का काजल न पुतता शान के लिए पराया माल न हड़पता हर मानव मेरा हित-बंधु होता रंग-रूप पर अपना गर्व करता । मैं भी अगर… तब सारा जग मेरा अपना होता पासपोर्ट-वीज़ा कोई न खोजता स्वच्छन्द वन-वन में घूमता होता विश्व –भर मेरा अपना राज्य होता । मैं भी अगर … प्यार के गीत जन-जन को सुनाता आवाज़ से अपनी सब को लुभाता मानवता की वेदी पर सिर झुकाता सागर की उर्मिल का झूला झूलता । मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता ।।
main bhi agar ek hindi poem