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main abla nadan nhi hu hindi poem

main abla nadan nhi hu hindi poem

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मै अबला नादान नहीं हूँ, दबी हुई पहचान नहीं हूँ।
मै स्वाभिमान से जीती हूँ,
रखती अंदर ख़ुद्दारी हूँ।।

मै आधुनिक नारी हूँ।।

पुरुष प्रधान जगत में मैंने, अपना लोहा मनवाया।
जो काम मर्द करते आये, हर काम वो करके दिखलाया
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश, फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

मैं सीमा से हिमालय तक हूँ, औऱ खेल मैदानों तक हूँ।
मै माता,बहन और पुत्री हूँ, मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपने भुजबल से जीती हूँ, बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

जिस युग में दोनो नर-नारी, कदम मिला चलते होंगे
मै उस भविष्य स्वर्णिम युग की, एक आशा की चिंगारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

main abla nadan nhi hu hindi poem
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