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mai beti hu hindi poem

mai beti hu hindi poem

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मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
मुझे भी तितली की तरह गगन में उड़ना है.

मेरे आने से पतझड़ भी बसंत बन जाए,
और खाली मकान भी घर बन जाए.

मै वही साहसी बेटी हूँ
जो भेद गयी अंतरिक्ष को भी.

मै जग की जननी हूँ
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो

मुझे भी अटखेलिया करने दो
मुझे भी गीत मल्हार गाने दो

रोशन कर दूंगी घर को ऐसे
जैसे कोई चाँद सितारा हो

मै वही कर्मवती पद्मिनी, साहसी झाँसी रानी हूँ
जो न झुकेगी, न टूटेगी हर एक गम सह लेगी.

मै तेरी आँखों का तारा बनूँगी,
नाम तेरा रोशन करूंगी इस दुनिया में.

जब भी आएगी कोई बांधा या विपदा
मै तेरे साथ खड़ी होंगी, मै बेटी हूँ मुझे आने दो

मै भी कल-कल करती नदियों की तरह
इस दुनिया रूपी समुंद्र जीना चाहती हूँ

मै आउंगी जरुर आउंगी, फिर कुछ ऐसा कर जाउंगी
कि इस दुनिया को अमर कर जाउंगी.

मै कलियों में फूलो की तरह
तेरे घर को खुशियों से भर दूंगी.

मै वो वर्षा हूँ जो न आई तो
ये खुशियों से भरी धरा बंजर हो जाएगी.

मै सूरज की तरह चमकुगी.
फिर एक नया सवेरा लाऊंगी

मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो

mai beti hu hindi poem
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