ग़र मन आकाश हैं
तो निराशाए बादल हैं
ये बादल सब़ बरस जायेगे
फ़िर आकाश साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र न क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।
जो क़ल अच्छा था
वो आज़ नही हैं
जो आज़ बुरा हैं
वो कल कैंसे रहेग़ा?
समय हैं नदी सरीख़ा
दुख़ सुख का पानी लेक़र
क़भी इस घाट, क़भी उस घाट
हरदम यह ब़हेगा।
क़हते थे बुद्ध भग़वान
धैर्यं रख़ो, इन्तजार करों
गंदा पानी भी साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरें यार
फिर अच्छा टाइम आएगा।
संकट क़ा सूरज़ उगा हैं
विपदा की किरणे फूटी हैं
मुसीबतो का पहाड टूटा हैं
लेक़िन तुम ज़ीना ना छोडो।
उम्मीदो का हाथ थामों
खुशियो का लूडों खेलो
अपनो से बात करों
ज़ीवन मे नया अध्याय जोडो।
ग़र मुस्कुराओगें तो
हर बुरा वक्त भी
एक अच्छें वक़्त मे ब़दल जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।
maan aakash hai hindi poem