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maa khadi ki chadar hindi poem

maa khadi ki chadar hindi poem

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माँ खादी की चादर दे दो मैं गाँधी बन जाऊँगा,
सभी मित्रों के बीच बैठकर रघुपति राघव गाऊंगा,
निक्कर नहीं धोती पहनूँगा खादी की चादर ओढुंगा,
घड़ी कमर में लटकाऊँगा सैर-सवेरे कर आऊँगा,
कभी किसी से नहीं लडूंगा और किसी से नहीं डरूंगा,
झूठ कभी भी नहीं कहूँगा सदा सत्य की जय बोलूँगा,
आज्ञा तेरी मैं मानूंगा सेवा का प्रण मैं ठानूंगा,
मुझे रूई की बुनी दे दो चरखा खूब चलाऊंगा,
गाँव में जाकर वहीँ रहूँगा काम देश का सदा करूँगा,
सब से हँस-हँस बात करूँगा क्रोध किसी पर नहीं करूँगा,
माँ खादी की चादर दे दो मैं गाँधी बन जाऊंगा।

maa khadi ki chadar hindi poem
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