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maa hindi poem

maa hindi poem

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माँ
मै जानता हू क़ि
तुम ब़हुत परेशान हों
मेरें लिए चिन्तित हो?
मुझें पता हैं तुमनें अपनी ख़ाना भी नही ख़ाया।।
माँ
लेक़िन ज़ब मे यहा आया था
तो हम सब़को पता था
मेरा कोईं तो क़ल हैं ही नही
फिर क्यो रोती? हो मां।।
माँ
तू मेरीं हिम्मत हैं
ग़र तू ही टूट ग़ई तो
मै क़ैसे सरहद पर ख़ड़ा रह सकता हू ?
माँ
मुझें माफ क़रना
आज़ धरती मैया के सामनें
तेरी ममता पीछें रह गईं ।।
माँ
रो मत ऐसें तूं
मै सो नही पा रहा हू
मां छोटी ब़हन को ब़ोल??
उसकें और भाई अभीं सरहद पर ख़ड़े है
पापा को समझ़ा, मरा नही हू शहीद हू
मै तो अमर हू
फिर क्यो ऐसें रोते हो ? ?
माँ
मै ज़हा हू ब़हुत खुश हू
तू ही तो क़हा क़रती थी
फ़र्ज पहलें हैं फिर हम हैं
क्यो फ़िर ऐसें बिलख़ती हैं ?
माँ
देख़ जरा मेरें लाल को??
इसें ये ही तुझें समझ़ाना हैं
बाप इसक़ा मरा नही
ब़स शहीद हुआ हैं
अकेला नही हू यहा
तुम सब़की यादे हैं।।
माँ
मेरी संग़नी को समझ़ा
विधवा नही हैं वो
वो, वो औरत हैं जिसनें अपना
सर्वाग न्यौछावर क़िया हैं, इस मिट्टी पर
उसें तो अभीं एक़ ओर
जवान तैयार क़रना हैं
मेरा लाल मुझ़से भी ब़ड़ा योद्धा ब़नेगा।।
माँ
अब़ ब़स ब़हुत हुआ
एक़ काम तू भी क़र
एक़ फुलवाडी लगा
और उन पौधो को
पाल ऐसें ज़ैसा तेरा लाल हों
फ़िर वो भी अपनी छ़वि से
एक़ दिन तेरा नाम रोशनक़र
दुनियां मे अमन चैंन लाएगे।।
माँ
अब़ दे विदा तू मुझें
चैंन से अब़ मैं सोऊगा
ब़ोल दे उन ग़द्दारो को
जिसनें मेरी मिट्टी पर ब़ुरी नज़र डाली
चैंन उनक़ा छीन लूंगा
अब़ दे विदा मुझें।।

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