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li sach ki lathi hindi poem

li sach ki lathi hindi poem

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ली सच की लाठी उसने
तन पर भक्ति का चोला
सबक अहिंसा का सिखलाया
वाणी में अमृत उसने घोला
बापू के इस रंग में रंग कर
देश का बच्चा- बच्चा बोला
कर देगें भारत माँ पर अर्पण
हम अपनी जान को
हम श्रद्घा से याद करेगें
गाँधी के बलिदान को

 

 


चरखे के ताने बाने से उसने
भारत का इतिहास रचा
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई
सबमें इक विश्वास रचा
सहम गया विदेशी फिरंगी
लड़ने का अभ्यास रचा
मान गया अंग्रेजी शासक
बापू की पहचान को
हम श्रद्धा से याद करेगें
गाँधी के बलिदान को.

चरखे के ताने बाने से उसने
भारत का इतिहास रचा
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई
सबमें इक विश्वास रचा
सहम गया विदेशी फिरंगी
लड़ने का अभ्यास रचा
मान गया अंग्रेजी शासक
बापू की पहचान को
हम श्रद्धा से याद करेगें
गाँधी के बलिदान को.


li sach ki lathi hindi poem
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