लडकें की तरह लड़की भी, मुट्ठी बांध के पैदा होती हैं।
लडकें की तरह लड़की भी, माँ की गोद में हसती रोती हैं।।
करते शैतानियाँ दोनों एक जैसी।
करते मनमानियां दोनों एक जैसी।।
दादा की छड़ी दादी का चश्मा तोड़ते हैं।
दुल्हन के जैसे माँ का आँचल ओढ़ते हैं।।
भूक लगे तो रोते हैं, लोरी सुन कर सोते हैं।
आती हैं दोनों की जवानी, बनती हैं दोनों की कहानी।।
दोनों कदम मिलकर चलते हैं।
दोनों दिपक बनकर जलते हैं।।
लड़के की तरह लड़की भी नाम रोशन करती हैं।
कुछ भी नहीं अंतर फिर क्यूँ जन्म से पहले मारी जाती हैं।।
बेटियां बेटियां बेटियां ..
बेटियां बेटियां बेटियां ..
ldke ki trh ldki bhi hindi poem