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lde ek din jor se hindi poem

lde ek din jor se hindi poem

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लड़े एक दिन बड़े जोर से,
बंदर और बंदरिया।
रूठा बंदर भागा घर से,
बिना कहे चुपचाप।

बैठ रेल में पहुंचा दिल्ली,
समझन पाया बात।
भाग-भागकर लोग सभी थे,
बस-ऑटो में चढ़ते।

और गाड़ियां दौड़ रही थीं,
इधर-उधर सरपट से।
समझा बंदर ने आफत कोई,
दिल्ली में है आई।

भागा बंदर भी झट घर को,
आपस की भूल लड़ाई।

lde ek din jor se hindi poem
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