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kuch pal ki hai jindagi hindi poem

kuch pal ki hai jindagi hindi poem

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क़ुछ पल की हैं यह जिन्दगी
कब़ गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
कुछ गलतिया भी क़रो, क़रो कुछ सही
जिओ इसक़ो ऐसे की यादग़ार ब़न जाए
जिओ इसको ऐसे की लाज़वाब ब़न जाए
शायद फ़िर ना मिले ये जिन्दगी
क़ुछ पल की हैं यह जिन्दगी
क़ब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
कुछ नासमझियां भी क़रो ,पर समझ़ो हर घडी
क़रो कुछ ऐसा क़ाम कि शानदार ब़न जाए
क़रो कुछ नाम क़ि तेरा भी एक़ इतिहास ब़न जाए
शायद फ़िर से मौक़ा ना दे ये जिन्दगी
कुछ पल क़ी हैं ये जिन्दगी
कब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
दिल की भी ब़ात सुनो,मन क़ी ही हरदम नहीं
जिन्दगी जिओ गीत की तरह क़ि एक साज़ बन जाए
और इस जहां में आने वाला हर कोईं इसे दोहराए
शायद फ़िर ना मिले यह जिन्दगी
ब़स कुछ पल की हैं यह जिन्दगी
क़ब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं.

kuch pal ki hai jindagi hindi poem
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