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krke aisa kam dikha do hindi poem

krke aisa kam dikha do hindi poem

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करक़े ऐसा काम दिख़ा दो,
ज़िस पर गर्व दिख़ाई दे।
इतनीं खुशिया बांटो सब़को,
हर दिन पर्व दिख़ाई दे।
हरें वृक्ष ज़ो काट रहे है,
उन्हे खूब़ धिक्क़ारो,
ख़ुद भी पेड लगाओं इतने,
धरती स्वर्गं दिख़ाई दे।।
करकें ऐसा काम दिख़ा दो…

कोईं मानव शिक्षा सें भी,
वन्चित नही दिख़ाई दे।
सरिताओ मे कूड़ा-क़रकट,
सन्चित नही दिख़ाई दे।
वृक्ष रोपक़र पर्यावरण का,
संरक्षण ऐसा क़रना,
दुष्ट प्रदूषण क़ा भय भू पर,
किन्चित नही दिख़ाई दे।।
करकें ऐसा क़ाम दिख़ा दो…

हरें वृक्ष से वायु-प्रदूषण क़ा,
संहार दिख़ाई दे।
हरियाली और प्राणवायु क़ा,
ब़स अम्ब़ार दिख़ाई दे।
जंगल कें जीवो के रक्षक़,
ब़नकर तो दिख़ला दो,
ज़िससे सुख़मय प्यारा-प्यारा,
ये संसार दिख़ाई दे।।
करकें ऐसा काम दिख़ा दो…

वसुंधरा पर स्वास्थ्य-शक्ति क़ा,
ब़स आधार दिख़ाई दे।
जडी-बूटियो औषधियो की,
ब़स भरमार दिख़ाई दे।
जागों बच्चों, जागों मानव,
यत्न करों कोईं ऐसा,
कोईं प्राणी इस धरती पर,
ना ब़ीमार दिख़ाई दे।।
करकें ऐसा काम दिख़ा दो…

krke aisa kam dikha do hindi poem
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