सरल सुपावन कोमल नारी । निर्भर जिस पर दुनियां सारी ।। माँ बेटी बहिना बहू नामा । निज परिवार बनावत धामा ।। कोमल हृदय सुपावन बानी । धरमशील अतिसय गुणखानी ।। धर्म कर्म अति निपुण विवेका । बल प्रताप सब एक ते एका ।। साहस शील विनय अनुगामी । तेजोमयी अरु अन्तरयामी ।। दृढ़संकल्पित तन मन प्यारा । मुट्ठी में जिनके जग सारा ।। आन मान है शान निराली । मात्रृ शक्ति मुस्कान निराली ।। नभ जल थल में कर्म निरत है । विस्मित जिनसे आज जगत है ।। सबसे पूजित सबसे प्यारी । भूमंडल की सिगरी नारी ।। नारी शक्ति को शीश नवाते । “महिला दिवस” हैं आज मनाते ।
komal nari hindi poem