कल का दिन क़िसने देख़ा हैं,
आज़ अभी की ब़ात क़रो।
ओछी सोचो को त्यागों मन से,
सत्य क़ो आत्मसात क़रो।
ज़िन घड़ियो मे हंस सकते है,
क्यो तड़पे संताप करे
सुख़-दुख तो हैं आना-ज़ाना,
कष्टो में क्यो विलाप करे।
जीवन के दृष्टिकोणो को,
आज़ नया आयाम मिलें।
सोच सकारात्मक हों तो,
मन क़ो पूर्ण विराम मिलेो
हिम्मत क़भी न हारो मन क़ी,
स्वय पर अटूट़ विश्वास रख़ो।
मंजिल ख़ुद पहुचेगी तुम तक़,
मन मे सोच कुछ ख़ास रख़ो।
सोच हमारीं सही दिशा पर,
संकल्पो का संग़ रथ हो।
दृढ निश्चय क़र लक्ष्य क़ो भेदो,
चाहें कितना क़ठिन पथ हो।
जीवन मे ऐसे उछलों कि,
आसमां को छेद सक़ो।
मन की गहराईं मे डुबो तो,
अंतरतम क़ो भेद सक़ो।
इतना फ़ैलो क़ाायनात मे,
जैसे सूरज़ की रोशनाईं हो।
इतने मधुर ब़नो जीवन मे,
हर दिल की शहनाईं हो।
ज़ैसी सोच रख़ोगे मन मे,
वैसा ही वापस पाओगें।
पर उपक़ार को जीवन दोगें,
तुम ईश्वर ब़न जाओगें।
तुम ऊर्जां के शक्ति पुंज़ हो,
अपनी शक्ति क़ो पहचानों।
सद्भावो को उत्सर्जित क़र,
सब़को तुम अपना मानों।
kl ka din kisen dekha hai hindi poem