जब गरज गरज के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब उमड़ घुमड़ के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब काले भूरे आते है बादल,
तब हमको कितना डराते बादल,
जब रिम झिम रिम झिम पानी बरसाते बादल,
तब हम सबके दिल को कितना हैं भाते बादल,
फसलो की जैसे जान हैं बादल,
अन्न के लिए जैसे वरदान है बादल,
लेकिन हद से आगे बढ़ जाये बादल,
तब न जाने कितनी प्रलय है लाये बादल,
जब गरज गरज के आते हैं बादल,
तब कितनी खुशियां लाते हैं बादल।
kitni khusiya late hain hindi poem