कितना सुन्दर, कितना प्यारा,
होता है ये रेनबो,
बारिश की हल्की फ़ुहरों के बीच,
नीलगगन में जब बनता है ये रेनबो,
बच्चे हों या बूढ़े, नर हों या नारी,
सबके मन को हर्षाता है ये रेनबो।
काश कभी हम सात रंगों के,
इस रेनबो सा मिल पाते,
भूलकर अपनी,
जाति-धर्म आपसी द्वेष,
नीलगगन के दामन में,
फूलों सा खिल पाते,
हरा, पिला, लाल, गुलाबी,
हैं रेनबो के रंग निराले,
जैसे अपनी भिन्न भिन्न,
संस्कृति बोली वेष-भूषा,
क्यों न हम रेनबो के सात रंगों सा,
एक दूजे के दिल को दिल से मिलालें।
फिर ये सारा भारत अपना होगा,
सारे लोग अपने परिवार के सदस्य,
फिर न कहीं निर्भया कांड होगा,
न मासूम असीफा की आबरू लूटी जाएगी,
रहें मिलजुलकर आपस में हम सब,
ये रेनबो एकता का पाठ हमें पढ़ता है,
आपस में प्यार-मोहब्बत भाईचारा रहे,
सदा ये रेनबो हमें सिखलाता है,
कितना सुन्दर, कितना प्यारा,
होता है ये रेनबो।
kitna sundar hindi poem