किस किस ने कुचला है मेरे अरमान बताऊ क्या? अपनी जिंदगी की किताब खोलूं, और एक एक पन्ना पढ़कर सुनाऊं क्या? जिस आंगन में बचपन खेला वो मेरा नहीं था। जो अपना घर है उस घर की परेशानी बताऊं क्या? सबकी नज़र में मेरा खामोश रहना बेहतर है। मैं घुंघट हटा दें। आंखों से बहता पानी दिखाऊं क्या? किसी को नहीं जानना समझना मेरी भी कुछ चाहत है। कभी कभी सोचती हूं। दीवारों से सर टकराऊं क्या? किस किस ने….
kis kis ne kuchla hai mere arman hindi poem