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khud ko dhundhna abhi baki hai hindi poem

khud ko dhundhna abhi baki hai hindi poem

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दर्द जो कहना अभी बाकी है,
बहुत सहा पर और सहना अभी बाकी है,
करते रहे खिदमत सभी की,
पर खुद की खिदमत करना अभी बाकी है,
जिये तो बहुत सबके लिए
पर अपने लिए जीना अभी बाकी है,
तोहमत है कि खुदगर्ज हैं हम,
पर खुदगर्ज बनना अभी बाकी है,
अधूरे जो ख्वाब रह गए,
उन्हें पूरा करना अभी बाकी है,
टूट के बिखरने लगे थे हम,
पर फिर से उठने की चाहत अभी बाकी है,
कहने को तो जिंदा हैं हम,
पर जिंदगी जीना अभी बाकी है,
कहते हैं कि अपनी भी एक दुनिया है,
पर इसमे खुद को ढूढना अभी बाकी है।

khud ko dhundhna abhi baki hai hindi poem
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