कहती बेटी बाँह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।
बेटी की अनदेखी क्यूँ,
करता निष्ठुर संसार?
सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?
गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।
मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।
दोनों आंखें एक समान,
बेटों जैसे बेटी महान !
करनी है जीवन की रक्षा,
बेटियों की करो सुरक्षा
khti beti bahh psar hindi poem