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khti beti bahh psar hindi poem

khti beti bahh psar hindi poem

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कहती बेटी बाँह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।

बेटी की अनदेखी क्यूँ,
करता निष्ठुर संसार?

सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?

गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।

मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।

दोनों आंखें एक समान,
बेटों जैसे बेटी महान !

करनी है जीवन की रक्षा,
बेटियों की करो सुरक्षा

khti beti bahh psar hindi poem
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