• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
kass li hai kamar hindi poem

kass li hai kamar hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से

तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,

चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे

परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,

है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे

तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका

चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे

दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं

ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे

मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम

आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

kass li hai kamar hindi poem
  • Share This:

Related Posts