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kartavy ki gathri hindi poem

kartavy ki gathri hindi poem

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एक बात मन की दोस्तों तुमको बतानी है,
कुछ दर्द में डूबी फ़कत अपनी कहानी है।

 

ढूंढा जिसे उल्फ़त मुझे न कोई मिल सकी,
ग़म झेलती देखो तन्हा कब से जवानी है।

 

जिसके सहारे ज़िन्दगी की मार मैं सह लूँ,
मुहब्बत की न कोई पास में मेरे निशानी है।

 

दुनिया मेरे अरमान की तो कब से लुट चुकी,
कर्तव्य की गठरी फ़कत अब तो उठानी है।

 

अब किसी सावित्री का किस्सा नहीं मिलता,
तुम मान लो मधुकर कि वो शिक्षा पुरानी है।

kartavy ki gathri hindi poem
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