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kali kali ghtaye hindi poem

kali kali ghtaye hindi poem

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काली काली घटाएं,
मन में कोहराम मचाये है ।
वादे इरादे नेक से लगते थे,
वो आज फिर से आसमान उठाये है ।
दिल पसीज गया है अब,
मैं सतरंगी सा मिल जाता था ।
वो बारिश सी आती थी,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।

गुजरा साल मेरा हाल पूछता है ।
बिन कहे, न रहे
सब जता देता है
गुमराह हो चला है यह दिल
बार बार उसका पता देता है
सुलगती याद पर ओले से गिरते थे ।
हर बार दिल छिल जाता था,
वो बारिश सी आती थी ,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।

मुरझाई सी फसल पर फुहार थी वो,
जलते बुझते शोलों का अहसास थी ।
गरजते बादल देख,
मन मचलता था ।
हर बार आने की,
वो बारिश सी आस थी ।
मूसलाधार सी,
उसकी यादों का कहर,
ज़र्रा ज़र्रा हिल जाता था
वो बारिश सी आती थी,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।

kali kali ghtaye hindi poem
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