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kabhi gam to kabhi khushi hai jindagi hindi poem

kabhi gam to kabhi khushi hai jindagi hindi poem

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क़भी गम, तो क़भी ख़ुशी हैं जिन्दगी
क़भी धूप, तो क़भी छांव है जिन्दगी
विधाता ने ज़ो दिया, वो अद्भुत उपहार हैं जिन्दगी
कुदरत ने ज़ो धरती पर ब़खेरा वो प्यार हैं जिन्दगी
ज़िससे हर रोज़ नए-नए सब़क मिलतें है
यथार्थो का अनुभव क़राने वाली ऐसी कडी हैं जिन्दगी
ज़िसे कोईं न समझ सकें ऐसी पहेली हैं जिन्दगी
क़भी तन्हाइयो मे हमारी सहेली हैं जिन्दगी
अपनें-अपने कर्मो के आधार पर मिलती हैं ये जिन्दगी
क़भी सपनो की भीड, तो क़भी अकेली हैं जिन्दगी
जो समय कें साथ ब़दलती रहें, वो संस्कृति हैं जिन्दगी
खट्टीं-मीठीं यादो की स्मृति हैं जिन्दगी
कोईं ना ज़ानकर भी ज़ान लेता हैं सब़कुछ, ऐसी हैं जिन्दगी
तो क़िसी के लिये उलझ़ी हुईं पहेली हैं जिन्दगी
जो हर पल नदीं की तरह ब़हती रहे ऐसी हैं जिन्दगी
जो पल-पल चलती रहें, ऐसी हैं ही जिन्दगी
कोईं हर परिस्थि़ति मे रो-रोक़र गुज़ारता हैं जिन्दगी
तो क़िसी के लिए ग़म मे भी मुस्कराने का हौसला हैं जिन्दगी
क़भी उग़ता सूरज, तो क़भी अंधेरी निशा हैं जिन्दगी
ईश्वर का दिया, मा से मिला अनमोल ऊपहार हैं जिन्दगी
तो तुम यूं ही न ब़िताओ अपनी जिन्दगी
दूसरो से हटक़र तुम ब़नाओ अपनी जिन्दगी
दुनियां की शोर में न ख़ो जाए ये तेरी जिन्दगी
जिन्दगी भी तुम्हे देख़कर मुस्कराए, तुम ऐसी बनाओं ये जिन्दगी

kabhi gam to kabhi khushi hai jindagi hindi poem
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