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jo chl sko to chl lo hindi poem

jo chl sko to chl lo hindi poem

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सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो

इधर-उधर कई मंजिल है, चल सको तो चलो

बने बनाये हैं साँचे, जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं

तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो

यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें

इन्हें खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

हर एक सफ़र को है मह्फूज़ रास्तों की तलाश

हिफाज़तों की रिवायत बदल सको, तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ-धुआँ है फिज़ा

ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको, तो चलो.

jo chl sko to chl lo hindi poem
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