हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिये वक्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिये ही वक्त नहीं।
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं।
सारे नाम मोबाईल में है,
पर दोस्ती के लिये वक्त नहीं,
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिये ही वक्त नहीं।
आँखों में है जींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं।
पैसों की दौड़ में ऐसे दौंड़े,
कि थकने का भी वक्त नहीं
पराये एहसानों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिये ही वक्त नहीं।
तु ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा?
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक्त नहीं…
jindgi jine k liye bhi waqt nhi h hindi poem