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jikr tera meri bato me hone lga hindi poem

jikr tera meri bato me hone lga hindi poem

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ज़िक्र तेरा मेरी बातों में होने लगा है
तेरा हर ख्वाब आँखों में रहने लगा है
सोचते हैं हर पल बस अब तेरे ही बारे में
कैसे कहूँ मुझे इश्क़ अब तुझसे होने लगा है
जब देखे वो मुझे आँखें भी मानो शर्मा सी जाती हैं
मेरी हर अदा पर उसका जैसे पहरा सा रहने लगा है
देखूं जब भी आईना मैं अक्स उसका मुझमें दिखने लगा है
रहती हूँ हर वक़्त बस उसके ही ख्यालों में और दिल भी अजब सा धड़कने लगा है

jikr tera meri bato me hone lga hindi poem
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