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jhum jhum hindi poem

jhum jhum hindi poem

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झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर
राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर!

झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,
घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,
सरित-तड़ित-गति-चकित पवन में,
मन में, विजन-गहन-कानन में,
आनन-आनन में, रव घोर-कठोर-
राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर !

अरे वर्ष के हर्ष !
बरस तू बरस-बरस रसधार !
पार ले चल तू मुझको,
बहा, दिखा मुझको भी निज
गर्जन-भैरव-संसार !

उथल-पुथल कर हृदय-
मचा हलचल-
चल रे चल-
मेरे पागल बादल !

धँसता दलदल
हँसता है नद खल्-खल्
बहता, कहता कुलकुल कलकल कलकल।

देख-देख नाचता हृदय
बहने को महा विकल-बेकल,
इस मरोर से- इसी शोर से-
सघन घोर गुरु गहन रोर से
मुझे गगन का दिखा सघन वह छोर!
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!

jhum jhum hindi poem
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