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jha jivan dolat ke bin hindi poem

jha jivan dolat ke bin hindi poem

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जहां जीवन दौलत के बिन
खुश रहता है अति अपार।
प्रेम का भरा रहता भंडार
जिसको सब कहते परिवार।।
मोह लोभ की परछाई भी
नहीं डाल पाती है यहां डेरा।
अमावस की काली रात में
निकलता खुशियों का सवेरा।।
परिवार इस संपूर्ण जगत का
उपहार है सबसे अनमोल।
खाली पेट शीघ्र भर जाता है
जब कहता कोई प्रेम के बोल।।
रोटी में बसता मां का प्यार
भाती हैं नोक झोंक बहन की।
कोलाहल करते जब लड़ते हैं
रोनक बढ़ जाती हैं आंगन की।।
पिता की डांट दिशा दिखाती
जो प्रेरित करती है आंठो याम।
परिवार का प्रेम जिसे मिलता है
बन जाता वह एक दिन कलाम।।
जैसे चीटियां एकत्रित होकर के
परिवार का सब बनकर हिस्सा।
समस्या को हंस के करती परास्त
नहीं बनती अतीत का किस्सा।।
परिवार में शामिल भावनाएं
प्रबल शक्ति करती है प्रदान।
मानव जिसके माध्यम से
हरा भरा करता है रेगिस्तान।।
जिसके पास नहीं होता है
खुशी से भरे परिवार का मेला।
वह हजारों की भीड़ में भी
रहता है जीवन भर अकेला।।
भयभीत करके शस्त्रों से
भले मानव बन जाए सिकन्दर।
जीवन में खुशियों का खज़ाना
रहता सदैव परिवार के अंदर।।

jha jivan dolat ke bin hindi poem
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