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jha dal dal pr sone ki chidiya hindi poem

jha dal dal pr sone ki chidiya hindi poem

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जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला।
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला।।

जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले।
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले।।

जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले।
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले।।

प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

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