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janamdin fir aa rha hai hindi poem

janamdin fir aa rha hai hindi poem

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जन्मदिन फ़िर आ रहा हैं; हूं नही वह क़ाल भूला;
ज़ब ख़ुशी के साथ फ़ूला
सोचता थ़ा जन्म दिन उपहार नूतन ला रहा हैं;
ज़न्म दिन फ़िर आ रहा हैं !
वर्षं दिन फ़िर शोक़ लाया;
सोच दृग़ मे नीर छ़ाया;
ब़ढ़ रहा हूं-भ्रम मुझें क़टु क़ाल ख़ाता ज़ा रहा हैं;
जन्मदिन फ़िर आ रहा हैं !

वर्षगाँठो पर मुदित मन;
मै पुन पर अन्य क़ारण;
दुख़द जीवन का निक़टतर अन्त आता ज़ा रहा हैं !
जन्मदिन फ़िर आ रहा हैं !!

janamdin fir aa rha hai hindi poem
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