जाड़े के दिन बीत गए हैं
गर्मी के दिन आए सोनू
सोनू बोला बहुत ही दिक्कत
इस गर्मी में आती मोनू
धरती तपती अंबर तपता
क्यारी सुखी, सूखे खेत
दुबे भी मांगे हैं पानी
पक्षी होते बड़े बेचैन
लूँ की हवाएं चलती तेज
आग नियन है तन को लगती
सूख जाते हैं नदिया तालाबें
रूप यौवन है मुरझा जाती
धूप के चलते वक्त डूबता
घर से निकले ना पंथी
आलस से दिन बीत है जाता
विरान है पनघट,विरान है नदी
मोनू बोला तब सोनू से
बहुत ही होती है परेशानी
इसका एक उपाय है भाई
दुनिया जागे पेड़ लगाए
पेड़ पौधों से मिलेगी छाया
बैठ नीचे कुछ काम करेंगे
गर्मी फिर महसूस ना होगी
दिन ना जाएगा ऐसे जाया
jade ke din bit gye hindi poem