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jab bhaskar aate hain hindi poem

jab bhaskar aate hain hindi poem

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जब भास्कर आते हैं खुशियों का दीप जलाते हैं,
जब भास्कर आते है अंधकार भगाते हैं।
जब सारथी अरुण क्रोध से लाल आता,
तब सारा विश्व खुशियों से नहाता।
वह लोगों को प्रहरी की भांति जगाए,
लोगों के मन में खुशियों का दीप जलाए।
जब सारा विश्व सो रहा होता है,
वह दुनिया को जगा रहा होता है।
उसके तेज से है सभी घबराते,
उसके आगे कोई टिक नहीं पाते।
उसके आने से होता है खुशियों में संचार,
उसके चले जाने से हो जाता अंधकार।
उसके चले जाने से दुनिया होती है निर्जन,
उसके आ जाने से धन्य होता जन-जन।
यदि शुर्य नहीं होता यह शोच के हम घबराते,
बिना शुर्य के प्रकाश के हम रह नहीं पाते।
शुर्य के आने से अंधकार घबराता,
उसके तेज के सामने वह टिक नहीं पाता।
इनके आने से होता धन्य-धन्य इंसान,
सभी उन्हें मानते हैं भगवान।
जब हिमालय पर आती उनकी लाली,
उनके आ जाने से हिम भी घबराती।
इनके आ जाने से जीवन में होता संचार,
आने से इनके होता प्रकाशमान संसार।

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