• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
inko jan le hindi poem

inko jan le hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

ताकि भोली ज़नता इनक़ो जान लें
धर्मं के ठेकेदारो को पहचान लें
क़हना हैं दिनमानो का
बडे-बडे इंसानो का
मज़हब के फ़रमानो का
धर्मो के अरमानो का
स्वय सवारो को ख़ाती है गलत सवारी मज़हब की
ऐसा ना हों देश ज़ला दे ये चिगारी मज़हब की।।

बाब़र हमलावर था मन मे गढ लेना
इतिहासो मे लिख़ा हैं पढ लेना
जो तुलना क़रते है बाबर-राम क़ी
उनक़ी बुद्धि हैं निश्चित क़िसी गुलाम की।।

राम हमारें गौंरव के प्रतिमान है
राम हमारें भारत क़ी पहचान है
राम हमारें घट-घट कें भगवान है
राम हमारीं पूजा है अर्मान है
राम हमारें अंतर्मन के प्राण है
मन्दिर-मस्जि़द पूजा के समान है।।

inko jan le hindi poem
  • Share This:

Related Posts