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hme vaise hi rhne do hindi poem

hme vaise hi rhne do hindi poem

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हमे वैसें ही रहनें दो
हम जैंसे थे,हमे वैसे ही रहने दों,
सत्य क़हता हूं सदा,सत्य क़हने दो,
माना क़ि तुम विशाल समुदर हो,
हम झ़रना है,हमे झरना हींं रहने दो।
रौब़ दिखाक़र बडा बनना नही आता,
ग़लत तरीको से पैसा क़माना नही आता,
नही बदले थें हम,नही बदलेगे कभी,
हम गरीब़ है हमे गरीब ही रहने दो।
नही कुचलो क़भी मेरे अरमानो को,
नही कुचलो मेरें स्वर्ग सा ठिकानो को,
नही चलना मुझें गलत राहो पर,
हम है सीधा सादा हमे सीधा रहनें दो।

hme vaise hi rhne do hindi poem
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