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hmari sanskriti hindi poem

hmari sanskriti hindi poem

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हमारी संस्कृति
भाषा, भेष और भूषा
संस्कृति की ऊषा
भाषा से ही है संस्कृति
भाषा नहीं तो बड़ी दुर्गति
अगर बन्द हो जाए बोलना
भाषा हिन्दी बोली
कैसे मनाएँगे हम होली
कैसे सजेगी डोली
भाषा बिना
संस्कृति हो जाएगी खाली
कैसे मनाएँगे हम दिवाली
समाप्त हो जाएगा राखी
बन्धन निराली

अगर अपनी संस्कृति को
है जिन्दा रखना
तब सब को होगा
हिन्दी पढ़ना सिखाना
यहीं से है संस्कार
यहीं से है सुधार
यहीं से हम सब एक परिवार।

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