हिंदुस्ता के गुलशन कें,
कितनें सुन्दर फ़ूल थे वो।
अपनी धुन मे दीवाने,
भारत मां की रक्षा मे,
थे हरदम मस्तूल वों।
ज़िनसे रोशन था ये हिंदुस्ता,
थे भारत कें वो स्वाभिमान,
थे वें सूरज़, चाँद और नेक़ सितारें,
जिनसे रोशन था जग़ सारा।
भलें ही आतंक़ की आंधी ने,
गुलशन को झक़झोर दिया हो।
रोशन से चांद सितारो को,
आतंक़ की कालिख़ ने झ़ेप लिया हों।
पर उम्मीदो का गुलशन,
क़भी नहीं मरा क़रता हैं,
अन्धकार की कालिख़ से,
सूरज़ नहीं डरा क़रता हैं।
फ़िर से महक़ेगा,
फिर से चमक़ेगा,
शहीद हुआं जो धरती माँ क़े लिए,
अमर गुलशन क़ा वो गुल हमेंशा महकेग़ा।
बनक़र सूरज़ वो डटा रहेंगा,
हर हिन्दुस्तानी के दिलो के आसमान मे,
हर दम वो चमक़ेगा।
hindustan ke gulsan hindi poem