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himaly ki choti se hindi poem

himaly ki choti se hindi poem

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आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है।

जहाँ हमारा ताज-महल है और क़ुतब-मीनारा है
जहाँ हमारे मन्दिर मस्जिद सिक्खों का गुरुद्वारा है
इस धरती पर क़दम बढ़ाना अत्याचार तुम्हारा है।

शुरू हुआ है जंग तुम्हारा जाग उठो हिन्दुस्तानी
तुम न किसी के आगे झुकना जर्मन हो या जापानी
आज सभी के लिये हमारा यही क़ौमी नारा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है।

himaly ki choti se hindi poem
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