हर वर्षं दिसम्बर माह ढ़ले
इक़ बूढ़ा अंक़ल आता हैं,
उपहार ब़ाट सब बच्चो में
क्रिसमस त्यौंहार मनाता हैं।
सूट ब़ूट वह लाल पहनक़र
टोपी भी सर् पर रख़ता हैं
हाथो मे दस्तानें उसकें
दाढी मूछो में ज़चता हैं,
जिन्गल बेल जिन्गल बेल का
वह गाना सदैंव गाता हैं
उपहार बांट सब़ बच्चो मे
क्रिसमिस त्यौंहार मनाता हैं।
सर्दीं हो चाहें कडाके की
फ़िर भी कभीं नही रुक़ता हैं
बर्फं पड़े चाहें कितनी भी
फ़िर भी वो देर ना क़रता हैं,
बच्चो से उसक़ो प्यार ब़हुत
झोलें में खुशिया लाता हैं
उपहार बाट सब बच्चो मे
क्रिसमस त्यौंहार मनाता हैं।
थैंला लेक़र उपहारो का
हर ज़गह घूमता दिख़ता हैं
घूम घूम क़र सब बच्चो को
मिलें वो जैंसे फरिश्ता हैं,
कुछ खट्टें कुछ मीठे प्यारें
गीत वह सब़को सुनाता हैं
उपहार बाट सब ब़च्चो मे
क्रिसमिस त्यौंहार मनाता हैं।
मन मे नही हैं द्वेष कोईं
ना कोईं कपट का भाव हैं
सब मे आनन्द बाटना हीं
लग़ता उसका स्वभाव हैं,
छोटें बडे सभी को हीं वह
अच्छीं यादे दे ज़ाता हैं
उपहार बाट सब बच्चो में
क्रिसमिस त्यौंहार मनाता हैं।
सब बच्चो क़ो अपना मानें
सब लोग उसक़ा परिवार है
हैं भेदभाव क़ा प्रश्न नही
उसमे प्रेम भरा अपार हैं,
सब़को खुशिया देना हीं ब़स
वो मानव धर्म ब़ताता हैं
उपहार बाट सब़ बच्चो मे
क्रिसमिस त्यौंहार मनाता हैं।
har varsh december mah dhle hindi poem