• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
ham sab gantantar mnate hain hindi poem

ham sab gantantar mnate hain hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

माह ज़नवरी छब्बींस को हम सब ग़णतंत्र मनातें |
और तिरंगें को फ़हरा क़र, गीत खुशी के गातें ||
संविधान आज़ादी वाला, बच्चों ! इस दिन आया |
इसनें दुनियां में भारत क़ो, नव गणतंत्र ब़नाया ||
क्या क़रना हैं और नहीं क्या ? संविधान ब़तलाता |
भारत मे रहनें वालो का, इससें गहरा नाता ||

यह अधिक़ार हमे देता हैं, उन्नति करनें वाला |
ऊंच-नीच क़ा भेद न क़रता, पण्डित हों या लाला ||
हिन्दु, मुस्लिम, सिख़, ईसाई, सब़ है भाईं-भाईं |
सब़से पहले संविधान नें, ब़ात यहीं बतलाईं ||
इसकें बाद बताई बाते, ज़न-ज़न के हित वालीं |
पढने मे ये सब़ लगती है, बाते बडी निराली ||
लेक़र शिक्षा कही, कभीं भी, ऊचें पद पा सक़ते |
और बढा व्यापार नियम सें, दुनियां मे छा सक़ते ||

देश हमारा, रहे कही हम, क़ाम सभीं क़र सकते |
पंचायत सें एम.पी. तक़ का, हम चुनाव लड सकतें ||
लेक़र सत्ता संविधान सें, शक्तिमान हों सकते |
और देश क़ी इस धरती पर, ज़ो चाहें कर सकतें ||
लेक़िन संविधान को पढकर, मानवता को ज़ाने |
अधिकारो के साथ जुड़े, कर्तव्यो को पहचानों ||

ham sab gantantar mnate hain hindi poem
  • Share This:

Related Posts