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ham bhi umr bhar sath rhenge hindi poem

ham bhi umr bhar sath rhenge hindi poem

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काश मैं तुमसे हर रोज मिल पाता
तुम्हें हर रोज देख पाता
तुम्हारा हाथ थाम कर
कुछ पल सुकून से बैठ पाता
काश मैं तुम्हारी आंखों में झांक पाता
मैं तुम्हें बाहों में भर पाता 
हर रोज तुमसे मिलने पर 
तुम्हारी आउटफिट की तारीफ कर पाता
काश हम भी साथ आइसक्रीम खाते 
या साथ कहीं घूमने जाते
काश हम भी कुछ खुशी के पल 
साथ में बिताते
क्योंकि बहुत मुश्किल है 
तुमसे इतनी मोहब्बत करते हुए भी
तुम्हें हर रोज देख ना पाना 
तुमसे हर रोज मिलना ना पाना
मैं यही सोच कर दिल को तसल्ली दे देता हूं
की ऐसी मोहब्बत हर कोई नहीं कर सकता
मिलो दूर होने पर भी एक 
दूसरे पर ट्रस्ट करना
बिना बोले एक दूसरे के का हाल समझ जाना
एक दूसरे को बेइंतहा चाहना
पर शायद अभी रब को हमारा ना 
मिलना ही मंजूर है
लेकिन एक दिन हम भी साथ होंगे
दूसरों की तरह एक आम जिंदगी जिएंगे
हम भी उम्र भर साथ रहेंगे 
हम भी उम्र भर साथ रहेंगे......

ham bhi umr bhar sath rhenge hindi poem
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