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gti prabal pairo me bhri hindi poem

gti prabal pairo me bhri hindi poem

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गति प्रबल पैरों में भरी

फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा

जब आज मेरे सामने

है रास्ता इतना पड़ा

जब तक मंजिल न पा सकूं

तब तक मुझे न विराम है

चलना हमारा काम है.

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया

कुछ बोझ अपना बंट गया

अच्छा हुआ, तुम मिल गई

कुछ रास्ता ही कट गया

क्या राह में परिचय कहूं

राही हमारा नाम है

चलना हमारा काम है.

जीवन अपूर्ण लिए हुए

पाता कभी खोता कभी

आशा निराशा से घिरा

हँसता कभी रोता कभी

गति-मति न हो अवरूद्ध

इसका ध्यान आठो याम है

चलना हमारा काम है.

इस विषद विश्व-प्रहार में

किसको नहीं बहना पड़ा

सुख-दुःख हमारी ही तरह

किसको नहीं सहना पड़ा

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूं

मुझ पर विधाता वाम है

चलना हमारा काम है.

मैं पूर्णता की खोज में

दर-दर भटकता ही रहा

प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ

रोड़ा अटकता ही रहा

निराशा क्यों मुझे?

जीवन इसी का नाम है

चलना हमारा काम है.

साथ में चलते रहे

कुछ बीच ही से फिर गए

गति न जीवन की रुकी

जो गिर गए सो गिर गए

रहे हर दम

उसी की सफ़लता अभिराम है

चलना हमारा काम है.

फ़कत यह जानता

जो मिट गया वह जी गया

मूंदकर पलकें सहज

दो घूंट हँसकर पी गया

सुधा-मिक्ष्रित गरल

वह साकिया का जाम है

चलना हमारा काम है.

gti prabal pairo me bhri hindi poem
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