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grmi ka mosam hindi poem

grmi ka mosam hindi poem

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कैसा ये गर्मी का मौसम आया

तपती हुई हवाओं संग

अग्न ने छुआ है तन को

सूखे गले की प्यास बुझाने

शरबतों के मेले ने छुआ है मन को

पीले फलों का अंबर लगा

दही और छाछ के झमेले हैं

झुलसती हुई पथ में दिखी

मटकी भरी जल अमृत है

तपती धूप में चलते राही

बरगद की छांव तलाशते

उम्मीदों का दामन पकड़े

बढ़ते थके-हारे भोजन से

निहारते स्वर्ग सी छाया मिले

पंखे और कूलरों ने

ऐसा अपना वर्चस्व बनाया

बिना इसके कहीं चैन न पाया

फिर ए सी (AC) ने आकर

सबसे आगे अपना स्थान बनाया

आइसक्रीम और बर्फ के गोले

इनका क्या कहना है भाई

इनके बिना तो खुशमिजाजी भी घबराई

सुबह शाम की ठंडी हवाओं में

सैर सपाटा का है तांता लगा

देखो देखो है गर्मी आई

बच्चों की छुट्टी है संग लाई

उछलेंगे, कूदेंगे, मौज-मस्ती जमकर करेंगे

कोई जाए रिश्तेदारों के घर

कोई जाए नैनीताल, शिमला, कश्मीर

मेहमान बन कर खातिर कराएं, या मेहमानों की करें खातिर

बड़ी असमंजस में पड़ी है सोच

ले लें घूमने का मजा या बंद होकर रहें कमरों में

सोच-सोच कर गर्मी है बीती

देखो कैसी है यह गर्मी आई

grmi ka mosam hindi poem
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