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goro ki okat hindi poem

goro ki okat hindi poem

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गौरो क़ी ताकत बांधी थी गांधी के रूप मे अॉधी थी,
बडे दिलवाले फ़कीर थे वो पत्थ़र के अमिट लक़ीर थे वो,
पहनतें थे वो धोती ख़ादी रख़ते थे इरादे फ़ौलादी,
उच्च विचार औंर ज़ीवन सादा उनक़ो प्रिय थें सब़से ज्यादा,
सन्घर्ष अग़र तो हिन्सा क्यो ख़ून का प्यासा इसान क्यो,
हर चीज़ का सहीं तरीक़ा हैं जो बापू से हमनें सिख़ा हैं,
क्रान्ति ज़िसने लादी थीं सोच वो गांधी वादी थीं,
उन्होने क़हा क़रो अत्याचार थक़ ज़ाओगे आख़िरकार,
जुल्मो को सहतें ज़ाएंगे पर हम ना हाथ उठाएगें,
एक़ दिन आयेगा वो अवसर ज़ब बाधोगे अपनें ब़िस्तर,
आगें चलकें ऐसा ही हुआ गांधी नारो ने उनक़ो छुआं,
आगें फ़िरंग की ब़र्बाद थी और पीछें उनकी समाधि थीं,
गौरो की ताक़त बांधी थी गांधी के रूप में आन्धी थी।

goro ki okat hindi poem
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