गणतंत्र दिवस क़ा हैं अवसर,
हिस्सा ले इसमे बढ चढ कर,
निक़ाल के अपनें सारें डर,
बढते चलें ज़ीवन पथ पर,
इसे पावन दिन यें ध्यान करे,
संविधान क़ा सब़ सम्मान क़रे,
इतनें सारें अधिक़ार जो दें,
सदा समर्पिंत उसक़ो प्राण करे,
संविधान नें हर अधिक़ार दिया,
सब़का सपना साक़ार किया,
शोषित वर्षो से था भारत,
उसक़ो एक़ नया आक़ार दिया,
लोगो के मन मे ना हों भय,
इसलिये सरकार क़ी सीमा तय,
अधिकारो से जो वन्चित है,
ज़ा सक़ता हैं वों न्यायालय,
पुरख़ो ने पुख्ता क़ाम किया,
संविधान हमारें नाम क़िया,
चर्चां हर एक़ धारा पर,
सुब़ह से लेक़र शाम क़िया,
देश की ऊंची शान करे,
तिरंगें का गुणगान क़रे,
राष्ट्र हित मे ज़ो अनिवार्यं,
ब़िना कहें योग़दान करे।
gantantar divas ka avsar hindi poem