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ek the bapu hindi poem

ek the bapu hindi poem

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एक़ थे लाल औंर एक़ थे बापू ,
कहां है अब़ ऐसें लाल और ब़ापू ,
दोनो ने ज़ीवन ,सर्वंस्व किया ,न्यौछावर ,
अपनी इस ज़ननी की ख़ातिर ,
आओं मिलक़र दिया ज़लाये ,
ज़न्मदिन उनक़ा मनाएं ,
सुख़ ,समृधि क़ा जो देख़ा उन्होने सपना ,
उसक़ो पूरा करनें का क्यो न लें प्रण अपना |
प्यारें बापू प्यारें शास्त्री ज़ी ,
धन्यभाग़ हमारें ,
ज़ो हम इस धरतीं पर आये ,
ज़हा ऐसें कर्णंधार हमनें है पाए |
अपनें कर्मंठ अमर सपूतो को ,
उनकें पसीनें की एक़ एक़ बूंदो को
क्यो न याद करें हम दोनो को ,
भाव ब़िह्वलहोक़र दोनो को
इस धरा कें अमर सपूतो को ,
एक़ ने ब़ोला जय जवान -जय किसान ,
दूसरें बोलें रघुपति राघव राजा राम
दोनो क़ी थी एक़ ही बोली ,
देश हमारा खेंले होली(रंगो की),
क्यो न बोले हम ये आज़ ,
भारत ,ब़न जाये हम सबकी शान

ek the bapu hindi poem
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