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ek hsta sa chra hindi poem

ek hsta sa chra hindi poem

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एक हंसता सा ,चेहरा था , संसार में।
आज से वो जुदा ,हम से हो जायेगा ।
नाम के जैसा काम किया आपने, आपको कोई कैसे भुला पायेगा ।

यू तो जाने से रूकता नही काम है,
पर दिलो में खटकता वही नाम है।
जिससे सुख-दुख कहे हमने अपने भला,
उससे जीवन को जीनें की सीखी कला ।

गजब अंदाज में जो कही शायरी , कोई भी और दूजा न कह पायेगा।

नाम के जैसा काम किया आपने ,
आपको कोई कैसे भुला पायेगा ।

हर सुबह को जिन्दा दिली से जिया ,
हंस के पूछा कहो तुम हो कैसे भला ।
खुश रहे खुद सदा और खुल के जिये ,
मैल आया न दिल में किसी के लिए ।
बोझ हल्का करो अपने दिल का तो तुम ,
मन में रखा तो मन मैला हो जायेगा।

नाम के जैसा काम किया आपने ,
आपको कोई कैसे भुला पायेगा ।

इनकी यादे जहन में रहेगी सदा ,मुस्कराती वो सुरत नजर आयेगी ।
स्वस्थ्य सुखमय हो जीवन यही कामना ,
दूर रहने का गम भी सहा जायेगा।
नाम के जैसा काम किया आपने ,
आपको कोई कैसे भुला पायेगा ।

 

ek hsta sa chra hindi poem
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