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dhra hila gagan gunja hindi poem

dhra hila gagan gunja hindi poem

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धरा हिला, गगन गुंजा

नदी बहा, पवन चला

विजय तेरी, विजय तेरी

ज्योति सी जल, जला

भुजा-भुजा, फड़क-फड़क

रक्त में धड़क-धड़क

धनुष उठा, प्रहार कर

तू सबसे पहला वार कर

अग्नि सी धधक-धधक

हिरन सी सजग-सजग

सिंह सी दहाड़ कर

शंख सी पुकार कर

रुके न तू, थके न तू

झुके न तू, थमे न तू

सदा चले, थके न तू

रुके न तू, झुके न तू

 

dhra hila gagan gunja hindi poem
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